Go to Home Page
Go to Home Page
Radio Sai Home Page
link_icon
spacer

 

आपके  और हमारे बीच 


प्रिय पाठकों ,

                यह अंक आपको साई गीता की भक्ति के जादू का अहसास करायेगा ।
 

        उसने पशु होकर भी जो प्राप्त किया है । वह वर्तमान समय में किसी मनुष्य के लिए भी दुर्लभ है ।
और ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह कोई बड़ा चड़ कर किया गया वर्णन नहीं है । ये वास्तव में भगवान के अपने शब्द हैं।
 

        हाल ही में स्वामी ने अपने शिष्यों और स्टाफ के सदस्यों से साई गीता के देह शांति के बाद कहा । जीस तरह का उच्च जीवन साई गीता ने जिया एसा किसी ने नहीं जिया । वास्तव में उसने सबको उच्च जीवन जीने का मार्ग दिखाया और इसी कारण मैं उसके बारे में सोच रहा हूँ ।
भगवान के इस चौपाये भक्त से बहु कुछ सीखा जा सकता है । स्वामी महज पाँच फीट तीन इंच के लाल जामा तथा केशों के मुकुट धारण करने वाले मात्र नहीं हैं ।उसी तरह साई गीता भी भगवान के सानिध्य में आने मात्र से ही सौभाग्य शाली नहीं बनी ।
 

        अगर आप सोचते हैं कि वह स्वामी की भक्त थी तो आप सही हैं ।पर यह सच्चाई का दसवाँ भाग भी नहीं है ।कोई दैवीय अनुकृति को नहीं जानता था ।फिर १८ मई को स्वामी ने कोड़ईकनाल से पुट्टपर्ती लौटने का निर्णय किया , जबकी प्रतिवर्ष बैंगलोर जाने का नियमित अभ्यास था । तब किसी को भी क्या होने वाला है इसका संकेत नहीं था । उस दिन जब वह अपने नये घर में विशेष बिस्तर पर लिटाई गयी, तब दोपहर की गर्मी के बावजूद स्वामी उसके पास थे , ड़ेढ घंटे तक पूरी प्रक्रिया उनके निर्देशन में चली , ऐसा था साई का प्रेम - साई गीता के प्रति । जब आप इस अंक की मुख्य कथा पडे़गें तब आप जान पायेंगें कि साई गीता ने किस प्रकार स्वामी के हृदय में स्थान बनाया । केवल यही नहीं आप उसके जीवन के कुछ अंश,जिनके बारे में विश्व में किसी को कुछ मालूम नहीं है , पड़कर अचंभित और शब्द शून्य हो जायेंगे ।
 

        यह दैवीय प्रेरणा की एक ऐसी यात्रा होगी जो कई सुप्त आत्माऒं को जगा देगी । स्वामी उसे अपने साथ बाहर लेकर जाते थे ,जिससे उनके शिष्यों को प्रेरणा मिल सके । स्वामी यहाँ तक कहते हैं "यदि तुम साई गीता का स्वामी के प्रति प्रेम का स्मरण व चिंतन ही करो तो इतना ही काफी है । मैं तुम्हें अपने हृदय के समीप बुला लूंगा ।"

 


spacer
     
You can write to us at : h2h@radiosai.org      
पहली कड़ी - अंक - ०१ नवम्बर २००८
Best viewed in Internet Explorer - 1024 x 768 resolution.